नवरत्न परिवार का इतिहास

सन २००६ चातुर्मास इंदौर का तय था इसके पूर्व विहार करते हुए प. पु. आचार्य श्री नवरत्नसागरजी और प. पु. प्रन्यास प्रवर श्री विश्वरत्नसागर जी म. सा. आदि साधु संत संत उज्जैन की सिद्ध भूमि मैना- श्रीपाल की आराधना स्थली पर कुछ समय के लिए पधारे थे. वहाँ पर कुछ युवको के भक्ति भाव से आत्म विभोर होकर उन्होंने पुरे समूह को एक मंडल के रूप में आराधना व आदि धर्म कार्य के लिए प्रेरित किया जिसे पु. प्रन्यास प्रवर के "नवरत्न युवक मंडल" नाम दिया धीरे धीरे सभी युवाओ ने अपनी उज्जैन और आस पास के क्षेत्रो में अपने भक्ति की पहचान बनायीं जो आगे जाकर "नवरत्न परिवार" के रूप में जाना गया।तत्पशात इसकी प्रथम कार्यकारिणी का गठन मोहनखेड़ा तीर्थ पर एक युवा सम्मलेन में हुआ इस सघठन के संचालन के लिए व सामूहिक जिन शक्ति कार्य को जन-जन तक पहुचाने के लिए गांव गांव में शाखाये बनायीं गयी और इस तरह युवाओ की संख्या में अप्रत्यशित अभिवृद्धि होती गयी, पु. प्रन्यास प्रवर की उपाध्याय पद आरोहण तक इस सघठन में लगभग पुरे मालवा क्षेत्र में अपना प्रभाव बनाया। बाद में हर चातुर्मास व सघठन द्वारा कई मासिक व वार्षिक कार्यक्रम में अपने सहभागिता से सिर्फ गुरु भक्ति का परिचय दिया वरन साधर्मिक भक्ति, अनुकंपा आदि तरह के कार्य करके अपने आप को अतुलनीय बनाया।

२०१० से संघठन ने अपना विस्तार वागड़ प्रदेश तक किया साथ ही सगठन को लोकत्रांतिक बनाये हुए प्रदेश के लिए बनायीं गयी उसके बाद २०११ में पु. उपाध्याय श्री विश्वरत्न सागर जी की आचार्य पदवी जो ऐतिहासिक रूप से यादगार बनी और देश का एक अथतपर्व कार्यक्रम का संचालन नवरत्न परिवार ने कर पुरे देश में नाम कमाया, तब तक नवरत्न परिवार में लगभग १००० युवाओ का विराट तथा बेजोड़ संघठन के रूप में विस्तारित लिया सन २०१२ से जिनालय शुद्धिकरण जैसे अभूतपूर्व कार्य को सम्पादित करके लगभग ६०० जिन मंदिर का पूरी तरह सामूहिक साफ़ सफाई का कार्य करके अपने आप को पूर्ण धर्म प्रिय और जन प्रिय संघठन के रूप में प्रज्वलित किया,
आज नवरत्न परिवार ११०० मंदिर का शुद्धिकरण करता है जो की वार्षिक कार्यक्रम के रूप में प्रति वर्ष करता है, तथा मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा दक्षिण में विशाल में लगभग ५४८ शाखाओ से सुसज्जित क्रियावान करता है बहुत से समाज सेवा का कार्य करके जिन शासन की प्रभावना में अपनी भागीदारी प्रस्तुत करता है ऐसे पुनीत कार्यो के संचालन करते हुए नवरत्न परिवार एक अद्वितीय संघठन है आप भी ऐसे संघठन के सदस्य बनकर जिनशासन के महान कार्यो में अपनी सहभागिता दे सकते है।
"जय जिनेन्द्र"
"जय शंखेश्वर"

नवरत्न परिवार क्या ?


दीर्घदर्शी गुरुदेवो के वात्सल्य की वाटिका....... नवरत्न परिवार

अनुभवी सदस्यो के अपनत्व का आयाम.........नवरत्न परिवार

नैतिक जीवन की पाठशाला..........................नवरत्न परिवार

अहिंसक-व्यसनमुक्त समाज का स्वप्नद्रष्टा.....नवरत्न परिवार

गच्छवाद-सम्प्रयवाद की कूट विरोधी.............नवरत्न परिवार

शासन सेवा करने का अदभुत उपक्रम.............नवरत्न परिवार

Navratan ji Vishwaratan ji

हमारे गुरुवर

परम पूज्य आचार्य श्री नवरत्न सागर सूरीश्वरजी महारासा

तीर्थो उदारक महान आचर्या श्री

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मानवीया धरातल पर देवी वय्क्तिव के धनी, सागर के समान घंभीर, गुणो के सागर जिंष्सन उदारक मालवा भूषण ताप सम्राट वर्धमान तापोनिश्ठ आचर्या "श्री नवरत्न सागर जी महाराज साहेब" .


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परम पूज्य आचार्य श्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी महारासा

मंगलदायक रिद्धी-सिद्धी दायक महामंगलकारी

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जनजन कि आस्था एवं श्रद्धा के केंद्र, मालव भूषण महान तपस्वी आचार्य भगवंत श्री नवरत्न सागर सुरीश्वरजी महाराजा के शिष्यरत्न युवा हृदय सम्राट आचार्य भगवंत "श्री विश्वरत्न सागर सुरीश्वरजी महाराज साहेब"

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